Book Title: Prachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

View full book text
Previous | Next

Page 36
________________ " परंतु नवमुनिगुहामा एक लेख छ जेमा उद्योतकेशरी जे ई. स. ना १० मा सैकाना प्रथम २५ वर्षमा थयो एम म्हें आठमा प्रकरणमा पूरार कर्यु छे, तेना विषे उल्लेख छे. आ गुहामा एक जैनश्रमण कुलचंद्रनो शिष्य रहेतो हतो एम धारवामां आवे छे. आ लेख उपरथी एम निर्णय थई शके के आ गुहा दशमा सैकामां खोदाई हशे; पण ज्यारे . गणेशगुफा, जे ई. स. पूर्व सातमा सैकानी बौद्धगुहा छ तेनी परसाळमां गणेशनी आकृति अगर खंडगिरिनी एक जैनगुहामां हिंदुदेवी दुर्गानी आकृति जोईए छोए त्यारे ए निर्णयमा शंका उत्पन्न थाय छे. जो एम कहीए के गणेशगुहा अगर जैनगुफा ब्रामणगुफाओ छ, कारण के त्यां हिंदु देवो जोवामां आवे छे, तो ते अयोग्य गणाय. खरी रीते आ आकृतिओ पाछळथी धुसाडवामां आवी छे. केटलांक कारणो उपरथी तथा उद्योतकेशरी एक जैनोनो म्होटो पोषक हतो ते उपरथी एम बनी शके के आ लेख खोटो छे अने ते गुहा थया पछीनो छ, तथा पोताना विचारोनी उदारताने माटे जे वखणायो हतो तेना मानमा मात्र आ लेख कोतरेलो होवो जोईए." हाथीगुफा. उपर वर्णवेला गुफा-समूहमा ज प्रस्तुत लेखवाळी हाथीगुफा पण आवेली छे. आ गुफा उदयगिरिना शिखर उपर छे. आना विषयमां बाबू मनोमोहन ए जे पुस्तकमां जणावे छ के-" हाथीगुफा एक नैसर्गिक गुफा छे. तेना उपर घणी ज थोडी कारीगरी करवामां आवी छे अने जो के शिरुषीनी नजरथी ते बहु उपयोगी नथी तो पण त्यांनी सर्व गुफाओ करता ते घणीज महत्त्वनी छे. कारण के "Aho Shrut Gyanam"

Loading...

Page Navigation
1 ... 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124