Book Title: Prachin Jain Lekh Sangraha Part 1
Author(s): Jinvijay
Publisher: Atmanand Jain Sabha

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Page 27
________________ (१) आ एक ऋषभदेवनी उभी नग्न आकृति छे अने तेनी पासे एक पोठीओ छे अने बे बाजुए उंचे हाथमा गायननां साहित्यो लइने उभेला चे सेवको छे. वळी बे बाजुए बीजा बे सेवको छे. तेमांना जमणा हाथ तरफना सेवकना हाथमां चामर छे तथा डाबा हाथ भणीना सेवकना हाथमा पंचपात्र छे. तेओ एक उंचा भाग उपर उभा छ. तथा ध्यानग्रस्त स्थितिमा पलाठी वाळीने बेठेली उपसेली बे आकृतिओ छे. तेमांनी डाबी आकृतिना हाथ छाती आगळ जोडेला छे अने जमणी आकृतिनी डाबी हथेली जमणी हथेली उपर मूकेली छे. आ आकृतिओनी नीचे बे नागणीओनी आकृतिओछे जे हाथ जोडीने प्रार्थना करे छे तथा जेमना उपर सर्पनी फणाओ आवेली छे. आनी नीचे वचमा एक बळदनी आकृति छे जेनी डाबी बाजुए नाळचावार्छ एक पाणी, वासण छे तथा जमणी बाजुए एक शंख तथा सिंह छे. बळद कुदरती रीते ज काढयो छे. तेना शरीरनी करचलीओ पण काढेली छे. (२) आ अजीतनाथनी लांबी नम आकृति छे. उपरनी बाजुए चंद्र आप्यो छे. उपरनी जे बे आकृतिओ छे ते हाथमा प्याला लइने उभेली ये स्त्रीओ छे. बच्चे बे सेवकोनी आकृतिओ छे तेमांनी डाबी आकृतिना हाथमां चामर छ, तथा जमणी आकृतिना हाथमा पंखो छ, निचेनी आकृतिओ (१) नी आकृतिओ जेवी छे. अहीं चिन्ह तरीके हाथी काढेलो छे. अने तेनी बे बाजुए सिंहो काढेला छे, ( ३ ) आ संभवनाथनी मूर्ति छे ते ध्यानग्रस्त स्थितिमा छे. ते एक प्रफुल्ल कमळ उपर बेठेली छे अने तेनी डाबी हथेली उपर जमणी हथेली छे. वच्चेनी बीजी आकृतिओ ( २ ) ना जेवी छे. अहीं घोडाने चिन्ह तरीके काढयो छे. डाबी बाजुए नाळचावाडं पाणीनुं वासण छे तथा बन्ने बाजुए बे सिंह छे. "Aho Shrut Gyanam"

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