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बान ने किया संवाद.
ज्ञानवादी-तमोए जड थकी जडनो नाश थयो एम को, ते युक्त
नधी तमारा मत प्रमाणे तो एमज सिद्ध थायछे के पाप कर• वाथी पण कर्म नाश थाय, कारण के पाप पण जड छे अने कर्म पण जडछे माटे पापथी कर्मनो नाश थाय तोपश्चात् दया, सत्य, तप करवानी शी जरुर होवी जोइए ? अने जो एम होय तो पापी जीवोनी शीघ्र मुक्ति थवी जोइए अने धी अने पापी एवो भेद भाव पण असत्य थाय किंतु शास्त्रमा वीतराग भगवते तो एम कथुछ के पाप कृत्यथी कदापि मुक्ति
मळतीनथी, माटे ज्ञानने सत्य मानो. अने तेनाथी मुक्ति थायछे. क्रियावादी-हे ज्ञानवादी ! तुं मारं कथन समजी शक्यो नहीं,
प्रतिपक्षी जडथकी प्रतिपक्षी जडनो नाश थायछे, कर्मन पति. पक्षी पाप नथी माटे पापथी कर्मनो नाश थतो नथी, पुण्य अने पाप ए बे परस्पर प्रतिपक्षीछे माटे पुण्यथी पापनो नाश थायले. पुण्यनी क्रिया दुःखनाशक छे माटे धर्षनी क्रिया
अवश्य करवी जोइए. ज्ञानवादी-पुण्यनी क्रियाथी कंइ कर्मनो नाश यतो नथी, कारण
के पुण्य पण कर्मस्वरूपछे, तो पुण्यथी कर्मनी वृद्धि थाय पण कर्मेनो नाश तो थतो नथी, माटे ज्ञानीन मुक्ति थायछे एम मानवू जोइए. क्रियावादी-भला ठीक पुण्यथकी कर्यनो नाश न थाय तोपण
शातावेदनीयकर्म बंधाय अने तेथी उत्तम कूळमा जन्म थाय धन, पुत्रादि ऋद्धि प्राप्त थाय तेथी सुख मळे ते पण क्रियान फल छे, अने तेथी अनुक्रमे कर्मनो नाश धाय माटे कियाकाउनी साफल्यताछे. मानवादी-पुण्यथी शातावेदनीयकर्म बंधायछे अने तेमो भोग
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