________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
परमात्मदर्शन,
( ३०० )
ईश्वरवादी - सर्व जीवोने इश्वरे बनाव्याछे तो जीवोनो कर्ता इश्वर कारणी भूत मानवो जोइए.
तत्ववादी - जीवोनो कर्त्ता इश्वर नथी, इश्वर अरूपीछे. रागद्वेष रहीतछे, संसारनी खटपट रहीतछे. तेवा इश्वरने जीवो बनाबवानुं शुं प्रयोजन ते बतावो अने ज्यारे इश्वरे जीवो नहोता बनाव्या ते पूर्वे इश्वर भुं करतो हतो वळी बतावो के जीवोनुं उपादान कारण कोण अने जीवरूप कार्यनुं निमित्त कारण कोण ?
प्रथम सामान्य माध्यस्थ बुद्धिथी विचारतां पण मालुम पढेछे के रागद्वेष रहीत एवा प्रभु वा जे ईश्वर सिद्ध तेमने जीवो बनाववानुं कंड् प्रयोजन नथी, एकने सुखी बनाववो अने एकजीवने दुःखी बनाववो एवं अन्यायनुं कार्य ईश्वर करतो नथी. जीवो बनाव्या विना पूर्वे ईश्वरने गमतुं नहोतुं ते पण कंइ कही शकां नथी, अने जीवो बनाव्या पूर्वे ईश्वर कतृत्व शक्ति रहीत हतो के केम ते कही शकातुं नथी. कर्तृत्व शक्ति ईश्वरनी अनादिनी मानो तो जीवो पण अनादि ठर्या. त्यारे वदतोव्याघातदूषण प्राप्त थयुं. कतृत्व शक्ति ईश्वरनी जो अनादि न मानो तो शक्तिनी अनित्यताए ईश्वर पण अनित्य ठर्यो. बळी जीवोनी पूर्वे ईश्वर छे ते पण सिद्ध यतुं नथी. बळी जीवोनुं उपादान कारण पण ईश्वर कही शकातो नथी, कारणके उपादान कारणथी कार्य भिन्न नथी. यथा तंतवः पटस्य जेम पटतुं उपादान कारण तंतु ते पटरूपज छे तेम जो जीवोनुं उपादान कारण ईश्वर मानीए तो सर्व जीवोथी अभिन्न ईश्वर ठर्यो. अने ज्यारे सर्व जीवमय ईश्वर ठर्यो त्यारे राजा पण ईश्वर पापी पण ईश्वर चोर पण ईश्वर विडाल पण ईश्वर सर्व पण ईश्वर पोतानी मेळे ईश्वर उपाधिमय बन्यो कोनुं भजन कर. कोई
For Private And Personal Use Only