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(a)
सापेक्षा ईश्वर कर्तृत्व.
॥१७५॥
परमप्रभु शिव सिमां, इच्छा नहीं अभिमान; शुं तें कर्त्ता सृष्टिनो, माने भूली भान.. उपादान जेवुं अहो, तादृश कार्य कहाय; निराकार ईश्वरथकी, जडसृष्टि न श्चाय. उपादान कारणथकी, जाणो कार्य अभेद; उपादान ईश्वर कहों, सृष्टिरूप ते खेद. निमित्त हेतु इशजो, उत्पत्तिमां होय; ईश्वरशक्ति नित्यके, अनित्यते अवलोय. ॥ ९७८म उपादान कारण विना, निमित्तथी शुं धाय; उपादान कोने कहो, ज्ञाने सत्य जणाय ॥१७९३॥ कार्य पूर्व तो दोयछे, कारणनो सद्भाव; उपादान कारण विना, बने न एह बनाव. ॥१८०॥ उपादानथी भिन्नछे, निमित्त कारण भाइ; भिन्न भिन्न शक्तितणी, क्यांथी एक सगाइ ॥९८२॥ सृष्टितुं कारण कदा, ईश्वर नहीं कल्पाय; नाह तो रासभ पण कहो, सद्युक्तिघर न्याय ॥१८२॥ पृथ्व्यादिक परमाणुओ, ग्रही सृष्टि निर्माय Parti यदि मानीए, चेतन क्यांची आय. ॥१८३॥ परमाणु समुदायथी, जडनुं कार्यज थाय; चेतन तेथी भिन्नळे, अरणि वन्हि न्याय,
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