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(३६)
बादशाहनी शोध. मोह पाम्या. केटलाक रागरागणीना तानमा गुलतान थया. केटलाक व्यापार करवा लाग्या, केटलाक विषयनी वातो करवा लाग्या केटलाक एम चिंतववा लाग्या के आ बागमां सदा रहेवानुं थाय तो ठीक. एम सर्वजन बागनी मोहमायामा फसाया. कोइए बादशाहने शोधी कहाडवानो प्रयत्न कयों नहीं, एवामां एक डाह्यो पुरुष हतो तेणे विचार्यु के-खरेखर आ जगत्नी तमाम प्रजा गांडीने मूर्ख छे, केमके ते जोवामां मशगुल थइ पडी पण तेमनामां एटली समजण नथी के प्रथम बाग जोवाना करतां बादशाहने शोधी कहाडवो जोइए बादशाहने शोधी काढे तो आ सर्व बाग तथा बादशाही तेने मळे, माटे आपणे तो प्रथम बादशाहने शोधी काढवो जोइए एम निश्चय करी आ पुरुषे महेल तरफ प्रयाण कयु. कोइ वस्तु तरफ दृष्टि दीधी नहीं, अंते महेलमां गयो, बादशाहने शोधी काढ्यो, के तुरत बादशाहे एक हजार तोप फोडावी मान साथे पोतानी बादशाही तेने हवाले करीने तुरत पेला फकीर बावाने पादशाहे कछु के-फकीर साहेब देखो. ऐसी दुनीया दिवानीकी रीति है के सब खलक जूठा बाग देखने में मशगुल हुइ, लेकीन कीसीका ध्यान मेरी शोध तरफ नहीं आया. सारांश के एवी रीते आ दुनीयाना जीवो असत्य मोहमायाथी जगत्मा फसायाछे. मोहमायानो त्याग करी जिनाज्ञा सत्य मानी पोतानी कायारूपी महेलमां अनंत शक्तिमान् अनंत सुखभोक्ता एवा आस्मारूपी बादशाह रहेलोछे तेने शोधवा ध्यान लगाडे तो जीव पोते परमात्मा बनी त्रण जगतनो स्वामी थाय. संसाररूप बागमां सर्व जगत् मोहमायाथी फसायुंछे, कोइ विरला प्राणी आत्मज्ञानने माटे सद्गुरुनु संसेवन करेछे, जेम झांझवाना पाणीश्री तृषा शान्स थती नथी तेम संसारनी मोहमायाथी आत्माने शान्ति मळती नथी, संसारनी सर्व खटपटने त्यागी आत्मस्वरूप प्राप्त कर एज
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