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हरसोल अभिलेख अ
जिले में प्रान्तीज तालुका में मोहडासा या मोडासा है। दान में दिया गया कुम्भारोटक ग्राम वर्तमान कामरोड है जो मोडासा से १३ मील पूर्व की ओर स्थित है। शिवनाथ का मंदिर, जो अभिलेख के दानकर्ता नरेश के मही नदी पर पड़ाव के पास था, सरनाल में रहा होगा जो वर्तमान में आणन्द-गोधरा रेल लाईन के मही नदी पर बने पुल के पास है। यह पवित्र स्थल है। यहां डाल्टेश्वर नाम से एक प्राचीन शिव मंदिर है।
मूल पाठ (प्रथम ताम्रपत्र) १. ओं।
विद्युच्चक्रकड़ार-केसरसटाभिनाम्बु (बु)द-श्रेणयः शोणं नेत्रहुताशडम्व (ब) र-भृतः सिंघा (हा)
कृतेः शारङ्गिणः । विस्फूज़ंद्गलगज्जितज्जित-ककुन्मातङ्ग दर्पोदयाः संरंभास्सुखयन्तु बः खरन
__ ख क्षुन (ण) द्विषद्-वक्षसः । [१] परमभट्टारक-महाराजाधिराज-परमेश्वर-श्रीमद्-अमोघवर्षदेव-पादा४. नुध्यात-परमभट्टारक-महाराजाधिराज-परमेश्वर-श्रीमद्-अकालवर्षदेव-पृथ्वीववल्लभ-श्रीवल्ल५. भ-नरेन्द्र-पादानां
तस्मिन् कुले कल्मषमोषदक्षे जातः प्रतापग्निहतारि-पक्षः । व (ब)प्पंप
- राजेति नृपः प्रसिद्धस्तस्मात् सुतोभूदनु वैरिसिंघः (हः)। [२॥] दृप्तारि-वनिता-वक्त्र-चन्द्रविव (बिंब)-कलं
कता। नो धौता यस्य कीर्त्यापि हरहासावदातया ।। [३॥] दुर्वार-रिपु भूपाल-रणरंगैक ना
यकः। नृपः श्रीसीयकस्तस्मात् कुल-कल्पद्रुमोभवत् ॥ [४।।] स एवंविधः प्रणत-सकल-सामन्त९. शिरोमणि-मरीचिरंजित-चरण-युगलः श्रीखेटक-मण्डलाधिपति-प्रतिपत्ति-प्रतिव (ब)द्ध त्रु
(भु ? ) क्ति १०. सतूर्यारव-संत्रस्तानेकरिपुसमूहः अनेकशंखध्वनि-व(ब) धिरित-पञ्चवर्णपताका-राजी-विरा११. जित-विशालस्थलावलम्वि (ब)त कुमुद वां (बांधव अतुल दान संपादनक कल्पद्रुमः महामण्ड१२. लिक-चूडामणिः महाराजाधिराजपति-श्रीसीयकः स्वभुज्यमान-मोहड़वासक-विषय संवु (ब)द्ध-कुं१३. भारोटक-ग्रामः समस्त-राजपुरुषान्प्रतिवासि-जनपदांश्च वो (बो)धयत्यस्तु वः यथा योगराज१४. स्योपरि यात्रासमयसंसिद्धकार्यानंतर-व्याधुटितै-महीनदीतट-निवासिभिरस्माभिश्चन्द्रा१५. र्क-योगपर्वणि शिवनाथं समय॑य॑व [धा] र्य। वाताभ्रविभ्रममिदं
वसुधाधिपत्य-मापात
मात्रमधुरो विषयोपभोगः । प्राणास्त्रि (स्तृ) णाग्रजमवि (बि)न्दुसमा नराणां धर्मः सखा परमहो (द्वितीय ताम्रपत्र)
परलोकयाने ॥ [५] इति जगदनित्यं सकलमवधार्योपरिलिखितो ग्रामः ससीमातृणगोचरपर्यं
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