Book Title: Paniniya Ashtadhyayi Pravachanam Part 03
Author(s): Sudarshanacharya
Publisher: Bramharshi Swami Virjanand Arsh Dharmarth Nyas Zajjar
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पाणिनीय-अष्टाध्यायी-प्रवचनम् ___ यहां कुमारी' शब्द से 'अम्' प्रत्यय, 'अमि पूर्व:' (६ ।१ ।१०३) से पूर्वसवर्ण होता है।
(५) कुमा। कुमारी+डे । कुमारी+आट्+ए। कुमारी+ऐ। कुमार्यै।
यहां 'कुमारी' शब्द से 'डे' प्रत्यय, 'आपनद्याः' (७।३।११२) से आट् आगम और आटश्च' (६।१।८७) से वृद्धि रूप एकादेश है।।
(६) कुमार्याः । कुमारी+ङसि । कुमारी+आट्+अस् । कुमार्याः । यहां कुमारी' शब्द से डसि' प्रत्यय और पूर्ववत् ‘आट्' आगम है। (७) कुमारीणाम् । कुमारी+आम् । कुमारी+नुट्+आम्। कुमारी+नाम् । कुमारीणाम् ।
यहां 'कुमारी' शब्द से 'आम्' प्रत्यय, हस्वनद्यापो नुट्' (७।१।५४) से नुट्' आगम और 'अट्कुप्वाङ्' (८।४।२) से णत्व होता है।
(८) कुमार्याम् । कुमारी+डि । कुमारी+आम्। कुमार्याम् ।
यहां 'कुमारी' शब्द से डि' प्रत्यय, 'डेराम्नद्याम्नीभ्यः' (७।३ ।११६) से डि' के स्थान में 'आम्' आदेश है।
(९) कुमारीषु । कुमारी+सुप् । कुमारी+सु । कुमारीषु । ___ यहां कुमारी' शब्द से 'सुप्' प्रत्यय और 'आदेशप्रत्यययोः' (८।३।५९) से षत्व होता है।
(१०) गौरी । गौर+डीए । गौर+ई। गौरी। गौरी+सु । गौरी।
यहां 'गौर' शब्द से षिट्गौरादिभ्यश्च' (४।१।४१) से 'डीप्' प्रत्यय है। शेष कार्य पूर्ववत् है।
(११) शारिवी । शारिव+डीन् । शाङ्ग्रव+ई। शाङ्गरवी । शाङ्गुरवी+सु । शार्गरवी।
यहां शारिव' शब्द से 'शारिवाद्यो ङीन्' (४।३।४३) से 'डीन्' प्रत्यय है। शेष कार्य पूर्ववत् है। (२) आबन्त
(१) अजा । अज+टाप् । अज+आ। अजा+सु। अजा।
यहां प्रथम 'अज' प्रातिपदिक से 'अजाद्यतष्टा' (४।१।४) से टाप्' प्रत्यय है। आबन्त 'अजा' शब्द से इस सूत्र से 'सु' प्रत्यय है। 'हल्याब्भ्यो०' (६।१।६६) से 'सु' प्रत्यय का लोप होता है।
(२) अजे। अजा+औ। अजा+शी। अजा+ई। अजे।
यहां 'अजा' शब्द से 'औ' प्रत्यय और 'औङ आप:' (७।१।१८) से 'औ' प्रत्यय के स्थान में 'शी' आदेश होता है।
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