Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org xii शब्दकोश-संरचना की आधुनिक प्रक्रिया में दिनानुदिन नई-नई पद्धतियों का समावेश हो रहा है। प्रस्तुत शब्दकोश के संकलन एवं निर्वचनों को सुव्यवस्थित स्वरूप प्रदान करने हेतु बौद्ध-विद्या के अनुभवी विद्वानों की एक परामर्शदात्री समिति का गठन किया गया था। प्रो. एन. एच. सन्तानी, श्री एस. एन. टण्डन, प्रो. सुनीति कुमार पाठक, डा. सत्यप्रकाश शर्मा, प्रो. महेश देवकर, प्रो. देव प्रसाद गुहा तथा डा. जे. एस. नेगी ने समिति की बैठकों में उपस्थित होकर शब्दकोश के प्रणयन में अमूल्य दिशानिर्देश प्रदान किए। प्रो. एम. जी. धड़फले, प्रो. संघसेन सिंह तथा प्रो. विश्वनाथ बनर्जी जैसे मूर्धन्य सुधीजनों ने भी इस शब्दकोश की संरचना में अपने अमूल्य परामर्श देकर कार्य को सफल परिणति की स्थिति तक पहुंचाया है। प्रो. सुनीति कुमार पाठक इस परियोजना के प्रणयन में मूल प्रेरणास्रोत हैं तथा शब्दकोश - संरचना-प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में इनका सृजनात्मक सहयोग हमें सदा प्राप्त होता रहा है। इन सभी सुधीजनों के प्रति हम विनत कृतज्ञताभाव व्यक्त करते हैं। इस चिरकांक्षित पालि-हिन्दी शब्दकोश की पाण्डुलिपि तैयार करने में शोध - सहायक श्री मुरारी मोहन कुमार सिन्हा, डॉ. चिरंजीव कुमार आर्य, डॉ. विश्वजीत प्रसाद सिंह, श्री सच्चिदानन्द सिंह का अप्रतिम योगदान रहा है, अतः ये साधुवाद के पात्र हैं। बिहार विधान परिषद् के पुस्तकालय के पूर्व पुस्तकाध्यक्ष श्री श्याम देव द्विवेदी इस शब्दकोश की भाषा को संशोधित करने तथा विषयवस्तु को व्यवस्थित स्वरूप प्रदान करने में अपना अमूल्य योगदान दिया है। इसके लिए हम उन्हें हार्दिक धन्यवाद देते हैं। इस शब्दकोश की पाण्डुलिपि के कम्प्यूटर-टंकणकार्य में श्री राजेश कुमार जायसवाल ने पूर्ण मनोयोग एवं अध्यवसाय के साथ लगकर इसकी सफल परिणति में अमूल्य योगदान दिया है। इसके लिए हम उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते है । हम इस विश्वास के साथ यह शब्दकोश प्रयोग के रूप में जन-सामान्य के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं कि यह शब्दकोश केवल छात्रों एवं शोधकर्ताओं के लिये ही नहीं, अपितु सद्धर्म-रस के पान को उत्सुक सभी विनेयजनों के लिये हितकर एवं उपयोगी सिद्ध होगा । कोई भी कृति कितनी ही सावधानी से क्यों न लिखी गयी हो, सर्वथा दोषमुक्त नहीं हो सकती । प्रस्तुत शब्दकोश भी इसका कथमपि अपवाद नहीं हो सकता । अतः विज्ञजनों से यह निवेदन है कि जहां कहीं भी वे इस कोश में किसी प्रकार की त्रुटियां अथवा अशुद्धियां देखें तो उन्हें सुधारने हेतु अपने अमूल्य परामर्श देकर अनुगृहीत करने की अहैतुकी कृपा करें ताकि आने वाले खण्डों का संकलन इन मूल्यवान् परामर्शो के आलोक में अधिक परिपूर्ण रूप में प्रस्तुत किया जा सके। आ-परितोसा विदूनं साधु न मञ्ञे पयोगविञ्ञाणं । बलवापि सिक्खितानं अत्तनि अप्पच्चयं चेतो // नव नालन्दा महाविहार, नालन्दा बुद्ध जयन्ती बुद्धपरिनिर्वाणाब्द 2550 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only रवीन्द्र पंथ निदेशक और प्रधान सम्पादक एवं सम्पादक मण्डल

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