Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 01
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir न होकर अट्ठकथाओं में दिये गए निर्वचनों के आलोक में भी हुआ है। इन व्याख्यानों के अनुशीलन से पालि के अध्येता को उपयुक्त पर्यायवाचक शब्द ढूंढ़ने में तथा बुद्धधर्म के विशेष सन्दर्भ में उस शब्द के विशिष्ट अर्थ का निर्धारण करने में निश्चय ही उचित मार्गदर्शन प्राप्त हो सकेगा। शब्दों के अर्थ-निर्धारण हेतु पालिभाषा के एकमात्र परम्परा-प्राप्त पर्यायकोश अभिधानप्पदीपिका' तथा इसकी सूची से पर्याप्त सहायता ली गयी है। शब्दों की व्युत्पत्तियां मुख्य रूप से पालिभाषा की कच्चायन, मोग्गल्लान एवं सद्दनीति नामक व्याकरण-परम्पराओं के आलोक में दी गयी हैं। इस शब्दकोश में अत्यन्त आवश्यक तकनीकी शब्दों, विशेष रूप से विनय, अभिधम्म एवं विपस्सना से सम्बन्धित शब्दों की संक्षिप्त व्याख्या लघु-टिप्पणियों के रूप में यथास्थान दी गयी है। इस कोश को और अधिक उपयोगी बनाने हेतु शब्दकोश के अन्तिम खण्ड में कुछ परिशिष्टों के जोड़े जाने की योजना भी बनाई गई है। इन परिशिष्टों में पालिगाथाओं के छन्दों, अलङ्कारों, उपाख्यानों, भौगोलिक एवं सांस्कृतिक महत्त्व के शब्दों आदि को जोड़ा जाना है। शब्द-निर्वचन-हेतु अपनायी गयी पद्धति आदि के सम्बन्ध में विशेष बातें “शब्दकोश देखने के लिये आवश्यक निर्देश" शीर्षक में बतला दी गयी हैं। इस कोश के प्रणयन में तथा इसे परिसंस्कृत स्वरूप प्रदान करने में हमें पालि-तिपिटक के यशस्वी अट्ठकथाकार आचार्य बुद्धघोष, आचार्य बुद्धदत्त एवं आचार्य धम्मपाल के शब्द-निर्वचनों से विशेष सहायता मिली है। स्थविरवादी-परम्परा ने पालि-भाषा के विभिन्न शब्दों के जो विशिष्ट अभिप्राय सुनिश्चित किये थे उनके ज्ञान के एक-मात्र साधन पालि-अट्ठकथाएं ही हैं। पुनश्च जो शब्द अट्ठकथाओं में सुस्पष्ट रूप से व्याख्यात नहीं हो सके थे उन्हें उत्तरकाल में रचित मुल-टीकाओं एवं अनटीकाओं में स्पष्ट किया गया है। प्रस्तत शब्दकोश का शब्दार्थ रम्परिक व्याख्यानों पर ही आधारित है। अतः हम इन ग्रन्थों के यशस्वी रचनाकारों के प्रति कृतज्ञता का भाव व्यक्त करते हैं। इनके अतिरिक्त पालि-इंग्लिश डिक्शनरी (प्रो. रिस डेविड्स, पा. टे. सो., लन्दन), ए डिक्शनरी ऑफ दी पालि लैंगवेज (आर. सी. चाइल्डर्स, लन्दन), ए क्रिटिकल पालि डिक्शनरी (वी. ट्रेकनर, रॉयल डेनिश अकादमी, कोपेनहेगेन), पालि-इंग्लिश डिक्शनरी (ए. पी. बुद्धदत्त महाथेर, कोलम्बो), बुद्धिस्ट हाइब्रिड संस्कृत ग्रामर एण्ड डिक्शनरी (एफ. एजर्टन, न्यू हावेन), डिक्शनरी ऑफ पालि प्रोपर नेम्स (2 खण्डों में, जी. पी. मलालशेखर, लन्दन) तथा डिक्शनरी ऑफ अर्ली बुद्धिस्ट मोनैस्टिक टम्स (प्रो. सी. एस. उपासक, नालन्दा) जैसे आधुनिक शब्दकोश भी इस कोश की संरचना में अत्यधिक उपयोगी सिद्ध हुए हैं। अतः इन कोशों के विद्वान् सम्पादकों के प्रति हम हृदय से आभार व्यक्त करते हैं। __ महाविहार की नियन्त्री परिषद् के अध्यक्ष बिहार के महामहिम राज्यपाल महोदय ने संस्थान के चतुर्मुख विकास तथा इसके शैक्षणिक क्रिया-कलापों के उत्थान हेतु सदा मार्गदर्शक की महती भूमिका का निर्वहण कर हमें प्रोत्साहित किया है। प्रस्तुत शब्दकोश के प्रकाशन की परियोजना की सफल परिणति में महामहिम मुख्य प्रेरणा स्रोत रहे हैं। महामहिम के इस उदात्त दृष्टिकोण एवं विद्यानुराग के लिए हम विनत कृतज्ञताभाव व्यक्त करते हैं। भारत सरकार के संस्कृति विभाग के सम्माननीय मन्त्री, सचिव, संयुक्त सचिव तथा अन्य पदाधिकारियों ने इस शब्दकोश की परियोजना के कार्यान्वयन-हेतु उदारतापूर्वक आर्थिक अनुदान देकर इसे सफल परिणति की अवस्था तक पहुंचाया है। हम उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं। For Private and Personal Use Only

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