Book Title: Nitishastra Ke Iitihas Ki Ruprekha
Author(s): Henri Sizvik
Publisher: Prachya Vidyapeeth

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Page 11
________________ नीतिशास्त्र के इतिहास की रूपरेखा / 09 कार्डानस, टेलसिअस, पेट्रीटिअस, केम्पेनला और ब्रूनो ने आधुनिक भौतिक विज्ञान के उदय की उद्घोषणा की और जगत् की रचना तथा खोज की सम्यक् विधि के सम्बंध में अरस्तु - विरोधी विचारों को प्रस्तुत किया। यह पूर्व दृष्ट ही था कि ऐसी ही स्वतंत्रता के स्वर नीतिशास्त्र में भी सुनाई देंगे। रूढ़ धारणाओं के साथ संघर्ष के कारण तथा वैयक्तिक निर्णयों की विभिन्नता और सन्मार्ग के प्रति विमुखता के कारण सुधारवाद के पश्चात् ईसाई धर्म अनेकानेक शाखा प्रशाखाओं में विभाजित होता गया। (ऐसी स्थिति में) वस्तुतः कोई भी चिंतनशील व्यक्ति स्वाभाविक रूप से एक ऐसी नैतिक पद्धति की खोज का प्रयास करेगा, जो कि पूरी तरह से मानव जाति की सामान्य नैतिक अनुभूतियों और सामान्य बुद्धि पर निर्भर हो और सभी सम्प्रदायों के द्वारा सामान्य रूप से स्वीकृत होने का दावा कर सके। इंग्लैण्ड में इस खोज के परिणाम 17 वीं शताब्दी में और उसके बाद जो विचार सामने आए उन पर हम अगले अध्यायों में विचार करेंगे। संदर्भ - मैं 'बहुत कुछ भाग ' - इन तीन शब्दों पर ध्यान दिलाना चाहूंगा। क्योंकि जिन समालोचकों ने इस वाक्य को तीव्र आलोचना के लिए चुना है, उन्होंने इन शब्दों की उपेक्षा की है। उनकी यह उपेक्षा उन्हें एक ऐसा विचार देती है, जिसमें मेरी दृष्टि के परिणामस्वरूप उन प्रश्नों की संख्या बढ़ गई, जिनके सम्बंध में यह असहमति थी।

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