Book Title: Meri Golwad Yatra Author(s): Vidyavijay Publisher: Devchandji Pukhrajji Sanghvi View full book textPage 8
________________ منحرفحفحه o भूमिका। G भारत का प्राचीन इतिहास आज क्रम-बद्ध नहीं मिलता है, इससे हमको बड़ा नीचा देखना पड़ा रहा है । कोई हमारी सभ्यता को ५००० वर्ष से अधिक प्राचीन मानता है और कोई हमको तीन हजार वर्ष के पूर्व असभ्य होना सिद्ध करता है । अर्थ यह है कि प्रत्येक इतिहासकार अपनी अपनी मनमानी हमारे विषय में अनुमति दे रहे हैं । यह सब क्यों ?, इसीलिये कि हमारे पूर्वजोंने सदा इतिहास की ही अवज्ञा नहीं की, वरन् इतिहास के तत्वों को भी वे सदा ठुकराते रहे, या यों भी माना जा सकता है कि इस ओर उनका ध्यान ही न गया हो। कुछ भी हो किसी के अतीत का इतिहास न मिलना उसके वर्तमान के लिये अमंगल है। वर्तमान की जड़ भूत में और भविष्य के लक्षण वर्तमान में होते हैं। यों तो संसार के किसी भी प्रदेश का क्रम-बद्ध इतिहास आज नहीं मिलता, परन्तु इस बात से किसी प्रदेश को इतना दुख नहीं जितना भारत को है। भारत का लाखों वर्षों पूर्व सभ्य होना इसके साहित्य से प्रकट होता है। परन्तु साहित्य दो सहस्र वर्ष से अधिक प्राचीन लिपि-बद्ध Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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