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. महावीर का अन्तस्तल
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जीर्णोद्धारकों की श्रेणीका एक सिद्धान्त बनाना होगा और उससे मैं अपने को एक जीर्णोद्धारक मानूंगा और उन जीर्णोद्धारकों में मल्लिदेवी का भी एक नाम होगा। इससे एक पंथ कई काज होंगे। तीर्थ की प्राचीनता की छाप जनता पर जल्दी लग जायगी, तथि के प्रचार में सुभीता होगा, क्योंकि मल्लिदेवी की ऐतिहासिकता और पूज्यता को लोग मानते हैं । इधर मल्लिदेवी को एक तीर्थकर मान लेने से नारियों में भी आत्मविश्वास आत्मगौरव की भावना बढ़ेगी, और साथ ही तीर्थ प्रचार के कार्य में या धार्मिक और सामाजिक क्रांति. में नारियों से सहयोग भी मिलेगा।
आज इस मल्लि-मन्दिर में ठहरने से मुझे बहुत ही ज्ञानसामग्री मिली है । भविष्य में इस का बहुत उपयोग होगा।
४५-सत्य और तथ्य २४ वुधी ६४३९ इ. सं.
गोशाल स्वभाव से बहुत अथला है इसीलिये उसका विनोद भी उथला होता है। आज जब मैं उष्णाक ग्राम की तरफ जारहा था, तब रास्ते में वर वधू का एक जोड़ा मिला। साथ में वाराती लोग भी थे। इसमें सन्देह नहीं कि दोनों बहुत कुरूप थे। पर इसमें अब घर वधू का क्या वश था । लेकिन गोशाल ने उनकी हँसी उड़ानी शुरु की | 'क्या लंगूर कैसी शक्ल है !
इस प्रकार बार वार हँसी उड़ाई, तब वारातियों को . . क्रोध आगया और वे गोशाल को बांधकर एक बांस विड़े के पास डालने लगे।
- मैं तटस्थ ही रहा । गोशाल का अपराध स्पष्ट था । फिर भी मैं यह सोचता खड़ा रहा कि इस घटना का अंत होजाय फिर गोशाल मेरे साथ चलने लगे।