Book Title: Mahavira ka Antsthal
Author(s): Satyabhakta Swami
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 336
________________ ३०४ ] महावीर का अन्तस्तल मिलकर उस सुनार को मार डाला । और अन्त में असकी लाश के साथ स्वयं भी जल मरी । मरकर वे सब की सब पुरुर हुई और सुनार मरकर स्त्री हुआ और जिस स्त्री को असने माग था वह स्त्री असका भाई हुई। वे सब स्त्रियाँ डकैत हुई । और लुनार की आत्मा जो स्त्री बनी थीं वह कुलटा होगई । एक बार सुन पांचसी डकैतो ने नगर लूटा और उस कुलटा को भी लूट लेगये । सब डाकुओं ने उस कुलटा के साथ बलात्कार किया इससे वह नरकर दुर्गात में गई । इसप्रकार उस सुनार को नारी के प्रति अत्याचार करने से जन्म जन्म तक फल भोगना पड़ा । इसलिय हरएक पुरुष को चाहिये कि वह पुरुषत्व के मद में आकर नारियों को उनकी झुचित इच्छा के विरुद्ध बन्धन में न डाले अन्यथा कर्मप्रकृति का अमोघ दण्ड उसे भोगना पड़ेगा। मेरा प्रवचन सुनकर रानी मृगावती झुठी और उसने निवेदन किया कि मैं राजा चण्डप्रद्योत की अनुमति से साध्वी दीक्षा लेना चाहती हूं और आशा करती हूं कि बालक राजकु मार उदयन के राज्य की रक्षा राजा चण्डप्रद्योत करेंगे। सव पर मेरे प्रवचन का रंग जमा हुआ था, ऐसे वातावरण में चण्डप्रयोत इनकार नहीं कर सकता था। उसने गनी मृगावती को अनुमति दी और सुदयन के राज्य की रक्षा का भी वचन दिया। ___ इस प्रकार एक बड़ा युद्ध टलगया और दो राज्यों में स्थायी मैत्री होगई। ८५--शव्दालपुत्र २४ सत्येशा ६४५२ इ. सं. कौशाम्बी के आसपास भ्रमण कर में बीसवां चातुर्मास

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