Book Title: Mahapurana Part 4 Author(s): Pushpadant, P L Vaidya Publisher: Bharatiya Gyanpith View full book textPage 9
________________ 16] महाकवि पुष्पवंत कृत महापुराण 11 संधि कलहप्रिय नारद ने जाकर रावण से कहा, 'सीता जैसी अनिन्द्य सुन्दरी तुम्हारे योग्य है।' रावण सीता को समझाने के लिए पहले अपनी बहन चंदनखा को भेजता है । लेकिन यह असफल लौटती है और उल्टे रावण को ही समझाती है। रावण उसे मना कर, पुष्पक विमान में जा बैठता है। 72ी संधि रावण मारीच को लेकर वाराणसी गमा । उस समय राम और सीता वसंत क्रीड़ा के अनंतर वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे। रावण कहाँ पहुंचा । उसने कपटपक उसके अपहरण का निश्चय किया। मारोष सोने का मृग बनकर दौड़ता है, राम पीछे-पीछे दौड़ते हैं। बहुत दूर ले जाकर मारीच संकेत करता है और इधर रावण सीता का अपहरण कर लेता है । वह उसे ले जाकर नंदन वन में रखता है और विद्यारियों से उसको समझाने के लिए कहता है । सीता विलाप करती है। वह रावण के प्रस्ताव को ठुकराती है। 73 संधि सीता के अपहरण से दुखी राम मूछित हो जाते हैं। दशरथ स्वप्न में सीता के अपहरण की बात जानकर इसकी सूचना राम को देते हैं। विद्याधर सुग्रीव और हनुमान राम से भेंट करते हैं । सुग्रीव अपना परिचय देते हुए, अपनी समस्या उनके सामने रखता है कि उसके भाई बालि ने उसे निकाल कर उसकी पत्नी ले ली है।हनुमान् सीता का पता लगाने का आश्वासन देते हैं। सम्मेदशिखर पर जाकर वे सिक्षकद जिनालग सीना करते हैं। हननमंका के लिए काम करते हैं। वह भ्रमर का रूप धारण कर लंका नगरी में प्रवेश करते हैं। वहां वह रावण को सिंहासन पर स्थित देखते हैं। इधर अनुसरों को सीता के शरीर का वस्त्र मिलता है। वहाँ सीता में आसक्त रावण का किसी भी काम में मन नहीं लगता । वह सीता को समझाता है। सीता उसे मुंहतोड़ उत्तर देती है। मंदोदरी राषण को समझाती है। मंदोदरी सीता को उसके पैरों के कुछेक विशेष चिह्नों से पहचान लेती है। हनुमान् सीता से भेंट करते हैं और प्रत्यभिज्ञान के साथ राम का संदेश देते हैं। वह राम के वियोग की भी स्थिति के बारे में बताते हैं। हनुमान सीता को आश्वासन देते हैं। राम का वृतान्त मिलने पर सीता मंदोदरी के अनुरोध पर भोजन करती है । हनुमान् राम के पास सीता का संदेश लेकर पहुंचते हैं। 74 वीषि हनुमान विस्तार से सीता के वियोग का वर्णन करते हैं। राम की पंचागमंत्रणा । राम एक बार फिर रावण के पास दूत भेजते हैं। हनुमान् दुवारा दूत बनकर जाते हैं। राम विस्तार से दूत को समझाते है। हनुमान् लंका में प्रवेश करते हैं। उनके सौंदर्य को देखकर लंका की विद्यारियों का मन विचलित हो उठता है। हनुमान् रावण को समझाते हैं। रावण इसे रंडा कहानी कहकर दूत की बात टाल देता है। रावण के विभिन्न सामंत भी अपनी-अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। 75वीं संधि हनुमान् लौटकर आते हैं । इधर लक्ष्मण बालि से युद्ध करते हैं। हनुमान् अपने दौत्य का प्रतिबेदन प्रस्तुत करता है। राम से मिलने के लिए बालिका दूत आता है। वह कहता है कि यदि राम सुग्रीव को निकाल बाहर करें, तो बालि उनकी अधीनता स्वीकार करने के लिए तैयार है। यह सीता कोPage Navigation
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