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[४] अन्त में, मैं उन सभी लेखकों का आभारी हूँ जिन्होंने जाने-अनजाने मुझे इस ग्रन्थ के प्रणयन में प्रभावित किया है। मैं पुनः इस व्याख्या की त्रुटियों के लिए क्षमा चाहता हूँ। इस ग्रन्थ को मैं अपने दिवंगत पितृव्य पं० विष्णुदत्त जी व्यास काव्यतीर्थ, धर्मशास्त्री की पवित्र स्मृति में श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित करता हूँ।
काशी गंगा दशहरा, २०१३
भोलाशंकर व्यास