Book Title: Kalikal Kalpataru Vijay Vallabhsuriji ka Sankshipta Jivan Charitra
Author(s): Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur
Publisher: Parshwanath Ummed Jain Balashram Ummedpur

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Page 11
________________ EDDENDE ODEO DE00B0DS00S00SODEODS ODECOEUDEO 030 DECISODED DENNE0030X HIEDVED02002002002000002qWEN 0201200201208 वर्तमान प्राचार्य देव के शिष्य पंन्यासजी (वर्तमान में आचार्य महाराज ) श्री ललितविजयजी महाराज जब होशियारपुर से बम्बई जाते हुए लुधियाना पधारे तब आपने अपनी नई बिल्डिंग की उद्घाटन क्रिया उन्हीं की विद्यमानता में कराई थी और पूजा पढ़ा कर स्वामीवात्सल्य किया था। फलोधी से निकले हुए जैसलमेर के संघ में आपने मुनि महाराजाओं की जो सेवाएँ कीं, वे सराहनीय हैं। ब्यावर से लेकर अम्बाले तक श्री गुरुदेव के साथ पैदल ® चल कर आपने जो अनुपम सेवा की है उससे आपकी भाक्ति का और भी ज्वलन्त उदाहरण मिलता है। आपने श्री आत्मानन्द जैन गुरुकुल आदि अनेक संस्थाओं में उदारता से दान दिया है। इस पुस्तक की ३ छपाई आदि में भी आपने आर्थिक सहायता प्रदान की 8 है। तदर्थ आपको बारम्बार धन्यवाद है। Deo dedne odsdoeodeode00200200SODBO OSO OSO OSO OSOOCOOBOOSOÓSCOBODZIOBOX निवेदकगुलाबचन्द ढड्डा एम० ए०, ऑनरेरी गवर्नर-श्री पा० उ० जैन बालाश्रम उम्मेदपुर (मारवाड़) 0200euteunenleucette0*0000euledledvedlem Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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