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५० : जैन योग के सात ग्रंथ १०६. पंचुत्तरेण गाहासएण झाणसयगं समुद्दिढ़।
जिणभद्दखमासमणेहिं कम्मसोहीकरं जइणा॥ जिनभद्रक्षमाश्रमण ने एक सौ पांच श्लोकों में कर्मशोधक ध्यानशतक का निरूपण किया है।
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