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ग्राम होता है; इसलिये अपक्षयस्वरूप है । मनुष्यपर्यीयको छोड़कर ये विनाशरूप है । इसी प्रकार होते है । इसलिये माररूप
परको प्राप्त होता है प्रवृत्ति अन्न free taraा है ।
(३) अथवा वह जीव अनिल, ara, sara, अगतील, treat at संयुक्त इस कारण अनेकान्तात्मक है ।
(४) अथवा जीव अनेक शब्द और अनेक farain fore है; इसलिये अनेकान्तात्मक है। इसका खुलासा इस प्रकार है कि, संसारं एक पदार्थ वाचक अनेक शब्द दीखते हैं, अर्थात एक पदार्थ अनेक है, सो जिस समय वह पदार्थ किसी एक धर्म परि है उस समय यह पदार्थ उस एक शब्दका वाच्य होता है। इसी प्रकार जब यह पदार्थ द्वितीयादि धर्मरूप परिणम है, उस मा वाध्य होता है । इस प्रकार एक पदार्थ अनेक शब्दों fare है । जैसे कि एकटी घट पदार्थ पार्थिव, गार्तिक, संशय, नव, महान इत्यादि अनेक शब्दका fare है;
कार एक घट पदार्थ अनेक विज्ञानका विषय समझना । इस घटकही तरह जीवमी देव, मनुष्य, पशु, कीट, बाल, युवा, वृ इत्यादि अनेक शब्द और विज्ञानका fare है; इसलिये अनेकान्ता
चाक
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(५) अथवा जैसे एक अग्निपदार्थ दाहक, पाचक, प्रकाशक आदि अनेक शक्ति है; उसी प्रकार एकही जीव द्रव्य, क्षेत्र, का, भय, भावक निमित्तसे अनेक विकाररूपः परिणमनको कारणभूत अनेक शक्तियां योग अनेकान्ताक है ।