Book Title: Jain Siddhant Darpan
Author(s): Gopaldas Baraiya
Publisher: Anantkirti Digambar Jain Granthmala Samiti

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Page 149
________________ [१८७]: ६५५३६ को-५२९२०००००००००००००००० से गुणाकार - करनेसे जो . प्रमाण हो, उतने प्रतरांगुलका भाग देनेसे जो लब्धः आवै उतना है । प्रत्येक चन्द्रमा (इन्द्र) के साथ एक एक सूर्य: (प्रतीन्द्र.) हैः । अठ्यासी अठ्यासी ग्रह, अट्ठाईस अट्ठाईस नक्षत्र और छयासठ हजार नौसे पिचहत्तर कोडाकोडी तारे हैं । अर्थात् सूर्योका प्रमाण चन्द्रमाओंके प्रमाणके समान है । ग्रहोंका प्रमाण चंद्रमाओंके प्रमाणसे ८८ गुणित है । नक्षत्रोंका प्रमाण चंद्रमाओंके प्रमाणसे २८ गुणित है । और तारोंका प्रमाण : चंद्रमाओंके प्रमाणसे छयासठ हजार नौसे पिचहत्तर कोडाकोडी गुणित है | अब आगे जंबूद्वीपमें सूर्य और चंद्रमाके गमनमें कुछ विशेष है, उसका स्पष्टींकरण करनेके लिये चार क्षेत्रका वर्णन किया जाता हैं । ___ चंद्रमा अथवा सूर्यके गमन करनेकी गलियोंको चार क्षेत्र कहते हैं । समस्त गलियोंके समूहरूप चार क्षेत्रकी चौड़ाई ५१०४६ योजन है । जिस गलीमें एक चंद्रमा वा सूर्य गमन करते हैं । उसीमें ठीक उसके सामने दूसरा चंद्रमा या सूर्य गमन करता है । इसा चार क्षेत्रकी ५१०४० योजन चौड़ाईमेंसे १८० योजन तो जम्बूद्वीपमें हैं । और ३३०४० योजन लवणसमुद्रमें हैं। चंद्रमाके गमला करनेकी १५ और सूर्यके गमन करनेकी १८४ गली हैं, जिनः सबमें समान अन्तर है । ये दो दो सूर्य वा चंद्रमा प्रतिदिन एक, एक गलीको छोड़ छोड़कर दूसरी दूसरी गलीमें गमन करते हैं । जिस दिन सूर्य भीतरी गलीमें गमन करता है, उस दिन १८ मतः (४८ मिनिटका एक मुहूर्त होता है) का दिन और १२ मुहूर्तकी: रात्रि होती है । तथा क्रमसे घटते घटते जिस दिन बाहिरी गलीमें गमन करता है, उस दिन १२ मुहूर्तका दिन और १८ मुहूर्तकी.

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