Book Title: Jain Pathavali Part 03
Author(s): Trilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar
Publisher: Tilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar

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Page 7
________________ ॐ विषयानुक्रमाणका । पाठ विपय आवश्यक प्रथम आवश्यक-सामायिक इच्छामि ठाइउ काउस्सग्ग दूसरा और तीसरा आवश्यक अतिचारो की समझ चौथा आवश्यक जान or orur 2 0 22M222222 दर्शन सम्यक्त्व का अर्थ दंसण-सम्मत्त चारित्र पांच आचार साधना की तीसरी सीढी . पहला अहिंसाप्रत और उसकी मर्यादा पहला अणुगत दूसरा सत्यव्रत दूसरा अणुव्रत तीमरा अस्तेयव्रत तीसरा अणव्रत चौथा ग्रह्मचर्यरत चाया अणुव्रत पांचवां परिग्रह परिमाणवत पांचवां अणुव्रत तत्त्व विभाग पुण्यतत्व और पापतत्त्व आप्रवतत्त्व सपरतत्त्व तीय on or

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