Book Title: Jain Pathavali Part 03 Author(s): Trilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar Publisher: Tilokratna Sthanakwasi Jain Dharmik Pariksha Board Ahmednagar View full book textPage 6
________________ श्री वर्द्धमान स्था. जैन श्रमण संघ के साहित्य शिक्षासंचालक पंडित रत्न मुनिश्री सुशीलकुमारजी म. का अभिमत वालक और जिज्ञासु कोरी ओर खुली किताब है, उसमे जिस प्रकार की संस्कार पक्तियाँ लिख दी जायेगी वे ही उभर आयेगी और पुस्तक का शरीर बन जायेगी। यह एक परम सत्य है, यदि आप इसकी यथार्थता स्वीकार करते है तो विश्व के भावी कर्णधारो और धर्म के भावी सैनिको में सच्चे सस्कार डालने का मधुर प्रयास करिये । • धन्यवाद है उस पाथर्डी वोर्ड और उसके सस्थापको को जिन्होने आर्हती सस्कृति को सदा जिन्दा बनाये रखने के लिए इस प्रकार की आवश्यक सस्था खडी की । जैन पाठावली का यह तृतीय भाग आपके सामने है । भाषा और भाव में परिवर्तन परिवर्द्धन की आवश्यकता दिखाई देने हुए भी समय की स्वल्पता के कारण पूर्ववत् ही प्रकाशित करना पसन्द किया गया है। भविष्य में सर्वागीण गुणो से सुसज्ज पाठावली आप तक पहुँचाने में समर्थ हो सकूंगा, इसी भावना के साथ -- --मुनि सुशीलPage Navigation
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