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और रम्य प्राकृत काव्य किस के मन को आनन्द प्रदान नहीं करता। आख्यान मणिकोश उत्तराध्ययन सूत्र पार सुखबोध नाम की टीका का रचना काल विक्रम संवत 1129 है। यह नेमिचन्द्र सूरिकी महत्वपूर्ण रचना है। प्राकृत कथाओं का यह कोष है। आम्र देव सूरि ने सन् 1134 ई) में इस पर टीका लिखी है।+9
कहारयण कोस के कर्ता गुणचन्द्रगणि, देवभद्र सूरि के नाम से भी प्रख्यात हैं। कथा रत्न कोश गुणचन्द्र मणि की महत्व पूर्ण रचना है जिसमें अनेक लौकिक कथाओ का संग्रह है इसका रचना काल सन् 1101 ई) है।
कालिकायरिय कहाणय (कालिका चार्य कथानक) के संबंध में प्राकृत और संस्कृत में अनेक कथानक लिखे गये है। प्राकृत और संस्कृत कथानक लेखको में देवचन्द्र सूरि, मलधारी हेमचन्द्र भद्रेश्वर सूरि, धर्म घोष सूरि, भावदेवी सूरि धर्म प्रभ सूरि आदि आचार्यों के नाम मुख्य है।50
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