Book Title: Jain Katha Sahitya me Pratibimbit Dharmik Jivan
Author(s): Pushpa Tiwari
Publisher: Ilahabad University

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Page 184
________________ +12. सांख्य दर्शन सूत्र 1 । +13. सांख्य दर्शन-सूत्र, 2, 3 । 414. सां. द. सूत्र 4 । 415. सांख्य कारिका 18,। 416. सांख्य दर्शन, 1/149 417. कुवलयमालाकहा 150, 291 418. हिरियण्णा एम, आउट लाईन्स ऑव इण्डियन फिलासी पृ. 138 419. श्लोकवान्तिक 1.5 +20. कुवलयमाला 20335 421. कुवलयमाला 204.1 122. श्वेताश्वतर उपनिषद 6.11 423. छान्दोग्योपनिषद्, 6.2, 1 ‘एक एवहि भूतात्मा अमृत बिन्दु उप. भ. पृ. 12 पृ. 15 424. भगवद् गीता 6-29, 30 425. भगवद् गीता, अध्याय 3, श्लोक 9 426. ब्रह्म सूत्र (वेदान्त दर्शन) सूत्र-1 427. तत्रैव, 2 428. तैत्तरीयोपनिषद 3/1 429. ब्रह्य सूत्र, 1/1/13 430. तैत्तरीय ब्राह्मण 3/12 431. ब्रह्य सूत्र 1/1/4, 432. कठोपनिषद, 1/2/15 433. वेदान्त 3/2/23, 434. ईशोपनिषद-8, +35. ते. 2/2/12/ 436. पातञ्जलयोग-प्रदीप, पृ. 31 (मुण्डकोपनिषद से उलृत) । 437. कुवलयमाला-150, 28 438. तत्रैव-2.29 439. भण्डारकर, वै. शै. मा. पृ. 135 440. कुवलयमाला-150, 30 . 170)

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