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पर्दा-स्त्रियों के मुँह को ढंकना, उसको घर के अन्दर नियन्त्रित रखना एक विशेष प्रकार की प्रथा है। समराइच्च कहा के अनुसार, कुसुमावली विवाह के अवसर पर जब मण्डप में आती है तब उसके मुंह पर पर्दा पड़ा होता है236 । सखियां उसका मुख खोल देती हैं। यह केवल लज्जा या विवाह की प्रथा के कारण ही है। कुसुमावली का पर्दा इसी प्रथा का परिणाम
सामाजिक संस्थाएँ वासुदेव हिण्डी में कुबेरदत्त की कहानी237 और अन्यत्र238 में पारिवारिक सम्बन्धों का संदर्भ है:-भाई देवर, पौत्र, सौतेला पुत्र, भतीजा, चाचा, पति, पिता, पितामह, ससुर, माता, सासु, सह पत्नी, भौजाई, दादी और वधू । सासु को पितृस्वसा239 और छोटे भाई की पत्नी को वधू240 कहते थे। पति को अज्जपुत्त241 से सम्बोधित किया जाता था।
परिवार का मुखिया-वासुदेव हिण्डी के अनुसार परिवार में 242 पिता का स्थान सर्वोपरि था। सम्पत्ति में वैधानिक भाग को दायभाग 243 कहा जाता था। परिवार के अल्प आयु के सदस्य अपने से वड़ों को हाथ जोड़कर 244 प्रणाम करते और पाँव छूते थे। कुमारियाँ सम आयु की लड़कियों को सहेली (वयसिनि) या हला245 कहकर सम्बोधित करती थीं।
कुवलयमाला में प्राय: अभिजात्य वर्ग के समाज का चित्रण हुआ है। उद्योतन सूरि ने उसके अनुरूप ही अनेक सामाजिक संस्थाओं का उल्लेख किया है।
___ पारिवारिक जीवन-समाज में परिवार एवं विवाह का महत्व हमेशा सर्वोपरि रहा है ।246 उद्योतन सूरि के समय को इन संस्थाओं में काफी लचीलापन था।
कुवलयमाला के कथानक और वर्णनों के आधार पर तत्कालीन संयुक्त परिवार का चित्र उपस्थित होता है। उद्योतन सूरि ने संयुक्त परिवार के सदस्यों के पारस्परिक सम्बन्धों का
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