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तथा 'श्री अथदेवशास्त्रगुरु की भाषा पूजा" में अत्यानुप्रास का प्रयोग द्रष्टव्य है ।
उatest शती के पूजाकार बुम्बावन अनुप्रास विशेषज्ञ हैं उन्होंने एक ही छंद में अनुप्रास के विभिन्न भेदों छेका, वृत्य, अन्त्य - को 'श्रीमहावीर स्वामी पूजा' नामक कृति में व्यंजित किया है । इस शती की 'श्रीचन्द्रप्रभुजिनपूजा" 'श्रीपंचकल्याणक पूजा पाठ४, 'श्री नेमिनाथजिनपूजा" नामक पूजाकृतियों में छेकानुप्रास का, 'श्रीकु थुनाथ जिनपूजा', 'श्री अनंतनाथ
१. प्रथम देव अरहत सुश्रुत सिद्धान्त जू । गुरू निरग्रन्थ महंत सुकतिपुर पंथजू ॥ - श्री अथदेव शास्त्र गुरू की भाषा पूजा, जैन पूजापाठ संग्रह, भागचन्द्र पाटनी, न० कलकत्ता-७, पृष्ठ १६ ।
द्यानतराय, सगृहीतग्रंथ६२, नलिनी सेठ रोड,
२. झनन झनन झनन झनन । सुरलेत तहाँ तननं तननं ॥
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-श्री महावीर स्वामीपूजा, वृन्दावन, सगृहीत ग्रंथ राजेश नित्य पूजा पाठ संग्रह, राजेन्द्र मेटिल वर्क्स, हरिनगर, अलीगढ़, १६७६, पृष्ठ १३७ । ३. चारु चरन आचरन, चरन चित-हरन चिह्न चर ।
- श्री चन्द्रप्रभ जिनपूजा, वृन्दावन, सगृहीतग्रथ-ज्ञानपीठ पूजांजलि, अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस, १६५७, पृष्ठ ३३३ ।
४. कमल केवरी कुन्द केतकी चपा मरूआ सार ।
- श्री पंचकल्याणक पूजापाठ, कमलनयन, हस्तलिखित, जैन शोध अकादमी, अलीगढ़ मे सुरक्षित ।
५. करि चित चातक चतुर चर्चित जगत हूँ हित धारिके ।
- श्री नेमिनाथ जिनपूजा, मनरंगलाल, सगृहीतग्रंथ-ज्ञानपीठ पूजांजलि, अयोध्याप्रसाद गोयलीय, मंत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस, १६५७, पृष्ठ ३६६ ।
६. श्री फल सहकार, लौंग अनारं, अमल अपारं, सब रितके ।
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-श्री कुम्बुनाथ जिनपूजा, बस्तावररत्न, संग्रहीत ग्रंथ, ज्ञानपीठ पूजांजलि अयोध्याप्रसाद गोवलीय, मंत्री, भारतीय ज्ञानपीठ, दुर्गाकुण्ड रोड, बनारस १६५७, पृष्ठ ५४४