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फलमानी सती में तालीसवीं सती में सनी का किस
बोलनी शती में कुल तेरह कनों का प्रयोग हमा है जिनका नकारारिका निम्न प्रकार है-अंगूर, अनार, माम, नापी, केला, छहारा, नारियन नारंगी, नौजू, पिस्ता, बाराम, मान, सुपारी।
मठारहनी से बीसौं शती तक निरन्तर पाहत होने वाले फलों को संख्या पांच है, यथा-फुहारा, नारियल, बाबाम, लोग तथा सुपारी।
इन सभी फलों के व्यवहार से यह सहज में कहा जा सकता है कि उन्नीसवीं सती के कवियों के चिन्तन का क्षेत्र व्यापक रहा है। उन्होंने तत्कालीन प्रकृति का पूक्म निरीक्षण कर अपनी भवस्यात्मक अभियंबना में तस्पीन प्रचलित फलों को गृहीत किया है।
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