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रामचन्द्र - रामचन्द्र उन्नीसवीं शती के सशक्त कवि हैं। आपके द्वारा प्रणीत अनेक पूजा काव्य प्रसिद्ध हैं ।
बुम्बावन - गोयल गोत्रीय अग्रवाल कवि बृन्दावन का जन्म शाहाबाद जिले के बारा नामक ग्राम में सं० १८४२ मे हुबा था । आपके पिता का नाम धर्म और माता का नाम सिताबी । आपकी पत्नी रुक्मिणी एक धर्मपरायण महिला थीं । प्रवचनसार, तीस चौबीसी तथा चौबीसी पूजाकाव्य, छन्द शतक, वृन्दावन विलास ( पदसंग्रह) नामक आपकी काव्यकृतियाँ उल्लिखित हैं। बापकी रचनाओं में भक्ति की ऊँची भावना, धार्मिक सजगता और आत्मनिवेदन विद्यमान है ।
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आशाराम - आशाराम बीसवीं शती के कवि हैं। 'श्री सोनागिरि सिद्धक्षेत्र पूजा' नामक पूजा आपकी रचना है ।
कु· जिलाल - बीसवीं शती के कु जिलाल उत्कृष्ट पूजाकवि हैं। आपकी तीन पूजा कृतियाँ - 'श्री देवशास्त्रगुरुपूजा', 'श्री महावीर स्वामीपूजा' और 'श्री पार्श्वनाथ जिनपूजा' हैं ।
जवाहरलाल -- जवाहरलाल छतरपुर के निवासी थे । आपके पिता मोतीलाल और काका हीरालाल थे । यथा
पिता सु मोतीलाल 'जवाहर' के कहे । काका हीरालाल गुणन पूरे लहे ॥
बीसवीं शती के पूजाकार जवाहरलाल की दो पूजायें -- श्री सम्मेदाचलपूजा, श्री लघुसमुच्चय पूजा- उपलब्ध हैं ।
जिनेश्वर बास - जिनेश्वरदास की तीन पूजा रचनाएँ - श्री नेमिनाथ बिन पूजा श्री बाहुबली स्वामी पूजा और श्री चन्द्रप्रभु पूजा-प्राप्त हैं। इनका रचना काल बीसवीं शती है ।
पूरणमल -- पूरणमल बीसवीं शती के कवि हैं । आप शमशाबाद ग्राम के निवासी हैं जैसा कवि स्वयं स्वीकारता है -
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पूरणमल पूजा रची बार, हो भूल लेउ सज्जन सुधार । मेरा है waerere ग्राम, जयकाल करूं प्रभु को प्रणाम || भगवानदास श्री तत्वार्थसूत्र पूजा नामक कृति के रचयिता भगवानदास atest शती के कवि हैं आपके पिता का नाम कन्हैयालाल है जैसा कि कवि ने स्वयं लिखा है---