Book Title: Jain Hindi Puja Kavya
Author(s): Aditya Prachandiya
Publisher: Jain Shodh Academy Aligadh

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Page 357
________________ (१६४ ) सस कहवालाल परमाम करा, भगवानदास जिहि नाम घस। भविपलबू-बीसवीं शती के पूजा रविता भविलालजू ने 'श्री सिद्ध पूषा भाषा' मामक पूजाकृति की रचना की है। मुन्नालाल-मुन्नालाल बीसवीं पाती के पूजा कवि हैं। 'श्रीखणगिरि सिवोशपूजा' नामक पूजा आपकी रचना है। दीपचन्द-बीसवीं सती के पूजाकवि दीपचन्द ने 'श्री बाहुबली पूजा' नामक कृति की रचना की है। दौलतराम-दौलतराम बीसवीं शती के सशक्त पूजाकवि है। दौलतराम की श्री पावापुर सिद्धक्षेत्रपूजा और श्री चम्पापुर सिद्धक्षेत्र पूजा नामक नेम-'श्री अकृत्रिम चैत्यालय पूजा' नामक कृति के रचयिता श्री नेम बीसवीं शती के उस्कृष्ट पूजा कवि हैं। युगल किशोर जैन 'युगल-पंडित युगल जो कोटा (राजस्थान) के निवासी है। अध्यापन-कार्य में संलग्न हैं । मापकी 'श्री देवशास्त्र गुरुपूजा' एक सशक्त रचना है। रसुत-रघुसुत बीसवीं शती के उस्कृष्ट पूजाकार हैं। आपको दो पूजा रचनायें श्री रक्षाबंधन पूजा, श्री विष्णकुमार महामुनि पूजा-उपलब्ध हैं। रविमल-बीसवीं शती के पूजाकार रविमल ने 'श्री तीस चौबीसी पूजा' की रचना की है। राजमल पवैया-पवैया जी भोपाल, मध्य प्रदेश में रहते हैं। आप एक अच्छे कवि हैं। श्री पंचपरमेष्ठी पूजा' बापकी श्रेष्ठ पूजा रचना है। सम्मिानव-सन्धिदानक बीसी शती के पूजा कवि हैं आपने 'श्री पंचपरमेष्ठी पूजा' नामक पूजाकाव्य का प्रणयन किया है। सेवकार -- सेवक बीसवीं शती के पूषा कवयिता हैं। भापको तीन पूजा कृतियां-'श्री आदिनाथ जिनपूजा', श्री अनंतत्रत पूजा और श्री समुच्चा चौबीसी पूजा'- उपलब्ध हैं। होरा-बीसवीं शती के पूजा कवयिता हीराचंद की पूजा कृतियां 'श्री सिद्धपूजा श्री चतुर्विशति तीर्थकर समुच्य पूजा' उपलब्ध हैं। हेमराज-हेमराज विरचित 'श्री गुरुपूजा' नामक पूजाकृति स्कृष्ट रचना है। हेमराज बीसवीं शती के श्रेष्ठ कवि हैं।

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