Book Title: Jain Hindi Puja Kavya
Author(s): Aditya Prachandiya
Publisher: Jain Shodh Academy Aligadh

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Page 354
________________ ( ३६१ ) उपयंकित विवेचन से स्पष्ट है कि जैन-हिन्दी-पूजा-काव्य में सात पक्षियों का प्रयोग हुआ है । इन पक्षियों में भ्रमर ही एकमात्र ऐसा पक्षी है जिसका व्यवहार अपनी विविध संज्ञाओं के साथ १८वीं शती से लेकर २०वीं शती तक सातत्य हुआ है । विवेष्य पूजाकाव्य में इन पक्षियों का प्रयोग धार्मिक विश्वासबर्द्धन, लौकिक अभिव्यक्ति तथा भावाभिव्यंजना में प्रकृतिवर्णन प्रसग में सफलतापूर्वक हुआ है। इस प्रकार के वर्णन वैविध्य में जन पूजाकवियों को आध्यात्मिकता के साथ-साथ लोकविषयक ज्ञान भी प्रमाणित होता है । 1

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