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32 / जैन धर्म और दर्शन
धर्म का मूल भी ताम्रयुगीन सिंधु सभ्यता तक चला जाता है।
इसी बात की पुष्टि करते हुए प्रसिद्ध विद्वान राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर लिखते
_ "मोहनजोदड़ो की खुदाई में योग के प्रमाण मिले हैं और जैन मार्ग के आदि तीर्थंकर ऋषभदेव थे। जिनके साथ योग और वैराग्य की परंपरा उसी प्रकार लिपटी हुई हैं जैसे कालांतर में वह शिव के साथ समन्वित हो गयीं। इस दृष्टि से जैन विद्वानों का यह मानना अयुक्ति युक्त नहीं दिखता कि ऋषभदेव वेदोल्लिखित होने पर भी वेद पूर्व
इसी संदर्भ में प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ.एम.एल.शर्मा लिखते हैं
मोहनजोदड़ो से प्राप्त मुहर पर जो चिह्न अंकित है वह भगवान ऋषभदेव का है। यह चिह्न इस बात का द्योतक है कि आज से पांच हजार वर्ष पूर्व योग साधना भारत में प्रचलित थी और उसके प्रवर्तक जैन धर्म के आदि तीर्थकर ऋषभदेव थे। सिंधु निवासी अन्य देवताओं के साथ ऋषभदेव की पूजा करते थे।
इसी बात के समर्थन में जैन धर्म को प्रागैतिहासिक धर्म निरूपित करते हुए प्रसिद्ध विद्वान् वाचस्पति गोरैला लिखते हैं
_ "श्रमण संस्कृति का प्रवर्तक जैन धर्म प्रागौतिहासिक धर्म है। मोहनजोदड़ो से उपलब्ध ध्यानस्थ योगियों की मूर्तियों की प्राप्ति से जैन धर्म की प्राचीनता निर्विवाद सिद्ध होती है। वैदिक युग में व्रात्यों और श्रमण ज्ञानियों की परंपरा का प्रतिनिधित्व भी जैन धर्म ने ही किया है। धर्म,दर्शन,संस्कृति और कला की दृष्टि से भारतीय इतिहास में जैनों का विशेष योग रहा है । 4
इसी प्रकार अपनी पुस्तक 'हिमालय में भारतीय संस्कृति में विश्वम्भर सहाय प्रेमी लिखते हैं
'शुद्ध ऐतिहासिक दृष्टि से यदि इस प्रश्न पर विचार करें तो भी यह मानना ही पड़ता है कि भारतीय सभ्यता के निर्माण में आदिकाल से ही जैनियों का हाथ था। मोहनजोदड़ो की मुद्राओं में जैनत्व बोधक चिन्हों का मिलना तथा वहां की योग मुद्रा ठीक जिन मूर्तियों के सदृश होना इस बात का प्रमाण है कि तब ज्ञान और ललित कला में जैनी किसी से पीछे नहीं थे।
इसी आधार पर जैन धर्म प्रागैतिहासिक और प्राग्वैदिक धर्म है इस बात की पुष्टि करते हुए डॉ.विशुद्धानंद पाठक और पं. जयशंकर मिश्र लिखते हैं
____ विद्वानों का अभिमत है कि यह धर्म प्रागैतिहासिक और प्राग्वैदिक है। सिंधु घाटी की सभ्यता से मिली योग मूर्ति तथा ऋग्वेद के कतिपय मंत्रों में ऋषभ तथा अरिष्ट नेमि जैसे तीर्थंकरों के नाम इस विचार के मुख्य आधार है। भागवत् और विष्णु पुराण में मिलने वाली
1 हिंदू सभ्यता पृ39 2. सस्कृति के चार अध्याय पृ 62 3. भारत मे सस्कृति और धर्म पृ ६२ 4. भारतीय दर्शन पृ. ९३ 5. हिमालय में भारतीय सस्कृति पृ. 47