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जीव और उसकी विविध अवस्थाएं / 69
एवं विशीर्ण क्यों हो जाता है ? तथा जन्म के उपरांत जीव में चेतना कहां से आती है ? यह बात भी अभी तक वैज्ञानिकों के लिए पहेली बनी हुई है।
आत्मा पर वैज्ञानिकों के विचार
प्रकृति और चेतना के इसी रहस्य को न समझ पाने के कारण वैज्ञानिकों का गर्व भी चूर-चूर हो गया है । उन्हें अपनी अल्पज्ञता सामने दिखने लगी है। उन्हें भी किसी विराट ज्ञाता का ख्याल आने लगा है।' आईन्सटाईन' के शब्दों में-'हम केवल सापेक्ष सत्य को ही जान सकते हैं पूर्ण सत्य को कोई सर्वज्ञ ही जान सकता है।" यही कारण है कि भले ही आधुनिक विज्ञान आत्मा की सत्ता को स्वीकार न करे, किंतु अभी वे एकदम से उसे अस्वीकार करने की स्थिति में भी नहीं हैं । अब तो वैज्ञानिकों को भी ऐसा प्रतीत होने लगा है कि यह विश्व एक प्रकार का जड़ यत्र नहीं है। उसमें चेतना स्फुरित होती है। "The Great Design" नामक पुस्तक मे अनेकों वैज्ञानिकों ने इस विषय में अपनी सामूहिक राय भी जारी की है। चेतना के महत्व पर स्पष्ट करते हुए "अलबर्ट आइन्सटाइन कहते हैं 2 - 1. मैं जानता हूं कि सारी प्रकृति में चेतना काम कर रही है।"
2. कुछ अज्ञात शक्ति काम कर रही हैं, हम नहीं जानते वह क्या है ? मैं चैतन्य को मुख्य मानता हूं भौतिक पदार्थ को गौण पुराना नास्तिकवाद अब चला गया है। धर्म, आत्मा और मन का विषय है। वह किसी भी प्रकार से हिलाया नहीं जा सकता।
-सर ए. एस. एडिग्टन
3. आजकल सामंजस्य का विस्तृत मानदंड प्रस्तुत हुआ है कि ज्ञान की सरिता अयांत्रिक वास्तविकता की ओर बह निकलती है। अब विश्व यत्र की अपेक्षा विचार के अधिक समीप लगता है । मन ऐसी चीज नहीं लगती जो दुनिया में कही अकस्मात् टपक पड़ी हो।
-सर जेम्स जीन्स 4. सत्य यह है कि विश्व का मौलिक तत्व जड़ (Matter) बल (Force) या भौतिक पदार्थ (Physical Things) नहीं है किंतु मन और चेतना ही है। "
- जे. वी. एस. हेल्डन
1 We can only know the relative truth, but absolute truth is known only to the universal observer जैन दर्शन और विज्ञान पर उद्धत पू. 99.100
2 I believe that intelligence is manifested throughout all nature
3 Something 'unknown' is doing we do not know,what regard consciousness as fundamental I regard matter as derivative from consciousness The old atheism is gone Religion belong to the realm of the spirit and mind and cannot be Shaken
4 Today there is a wide measure of agreement, that the stream of knowledge is heading toward a non-mechanical reality The universe begins to look more like a great thought than like great machine Mind no longer appears as an accidental intrudes into the realm of matter
5 The truth is that, not matter, not forces, not any physical thing but mind, personality is the central fact of the universe