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है शेष अरूपी हैं । यहाँ रूपी से तात्पर्य रूप-रस-गध स्पश' से है । अन्य पदार्थो में ये गुण नहीं पाये जाते अतः अरुपी कहे गये हैं।
स्पर्श आठ प्रकार का है- कठिन, मृदु, गुरु, लघु, शीत, उष्ण, स्निग्ध एव' रुक्ष, । इसी प्रकार रस पांच प्रकार के हैं-कडुवा तीखा, कषाय, खट्टा, मीठा, गिध के भो सुगौंध और दुर्गन्ध दो प्रकार हैं जबकि काला, पीला, हरा, लाल, और सफेद पाँचवर्ण हैं ।
शब्द, छाया, अधकार, एवं प्रकाश को भी पुद्गगल माना है ।
पुदगल के भेद : मूलतः दो भेद (१) परमाणु (२) स्कन्ध । शास्त्रकारों ने परमाणु की व्याख्या करते हुए कहा-जो स्त्रय आदि. मध्य एवं अतरुप हो । जिसका इन्द्रियों द्वारा ग्रहण न किया जा सके । एसे अविभावी द्रव्य को परमाणु कहा गया है। ऐसे परमाणु के खड नही किए जा सकते । ये परमाणु नित्य होते होते हैं । शब्द रुप नही होते, एक प्रदेशी, अविभागी एवं मूर्तिक होते हैं ये परमाणु शब्द की उत्पत्ति में कारण होते है स्वय शब्दरुप नहीं होते । स्क धका अन्तिम विघटन परमाणु है। इसी प्रकार अनेक परमाणुओं का संगठन स्कौंध कहलाता है अधिकाधिक परमाणुओं का सगठन असख्यात प्रदेशी और अनन्त प्रदेशी स्क'ध तैयार करते हैं । विज्ञान का एटम कभी अविभाजित था पर आज विभा जित होने से परमाणु नही रह गया । स्कध है , वह मूर्तिक है । स्कों के परस्पर टकरानेसे शब्दो' की उत्पति होती है । यो परमाणु जुडकर एक रासायनिक प्रक्रिया करके नए पदार्थ (स्क'ध) को जन्म देते हैं । स्निग्ध और मक्षगुण के निमित्त से ही परमाणुओ का बध होता है । परन्तु ऐसे बध में एक परमाणु का गुण दूसरे से कम या अधिक होना चाहिए । शरीर का मोटापन, दुबलापन, आदि आकार पुद्गगल की ही पर्यायो हैं ।
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