________________
१०१
मुक्त करके स्वस्थ बनाता है । ' ग्रन्थी' से बचाता है । विश्व अशांति दूर करने का इससे सरल उपाय क्या होगा कि हम अपनी बात मनवाने के साथ दूसरों की बात भी माने ।
वर्तमान युग के महान वैज्ञनिक आईन्स्टाईनके सापेक्षवाद में दृष्टि वैविध्य से वस्तु परीक्षण में स्थाद्वाद दर्शन ही तो प्रस्थापित हुआ है ।
परस्पर द्वेष का कारण दृष्टिभेद है इसे प्रेम में परिवर्तन किया जा सकता है । दृष्टि को समझाने की स्याद्वादमयी विशालतासरलता एवं तरलता से हैं ।
चूँकि अनेक स्थानों पर ब्रह्मवादियों या एकांतदर्शनिकों के कथनों में ही स्याद्वाद की परोक्ष स्वीकृति स्याद्वाद की महत्ता की स्वीकृतिका द्योतक है । उ. यशोदाविजयजी ने कुमारिल भट्ट एवं पातंजल के ही ऐसे उदाहरण अपने ग्रन्थ अध्यात्मोपनिषद् में उद्धरित कर स्याद्वाद की प्रतिष्ठा को प्रस्थापित किया है ।
Jain Education International
accandan
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org