Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 25
________________ नवकार नी पाटी। शामो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आयरियाणं, लामो उवज्झायाणं, गमो लोए, सव्व साहणं । सामायक लेने की पाटी। करेमि भंते सामायियं सावज्ज' जोगं पञ्चक्खामि जाव नियम ( मुहूर्त एका ) पज्जवा सामि दुविहिं तिविहेणं न करेमि न कारवेमि मनसा वायसा कायसा तस्म भते पडिकमामि निन्दामि गरिहामि अय्याणं योसरामि। सामायक पारणे की पाटी। - नवमा सामायक ब्रत ने विषै ज्यो कोई अतिचार दोष लागो हुवै तो पालोऊ १ सामायक में मुमता न कीधी विकथा कीधौ हुवै श्रण पूरी पारौ होय पारवो विसायो होय मन बचन काया का जोग माठा परवताया होय सामायक में राज कथा देश कथा स्त्री कथा भत्त कथा करी होय तथ मिच्छामि दुक्कडं ।

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