Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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श्री जयाचार्य कृतभ्रम विध्वंसन की हुण्डी। .
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मिथ्यात्वि क्रियाधिकार
१ बाल तपस्वी ने सुपाव दान, दया, शौलादि करो मोक्षमार्ग नों देश की आराधक लायो।
(साख सूत्र भगवती श० ८ उ० १०) २ प्रथम गुगठाणा नो धणी सुमुख नाम गाथापति,
सुदत्त नामा अणगार ने सुपात्र दान देई परित संसार करौ मनुष्य नो भाउषो बांध्यो। .
(साख सूत्र सुखविपाक अ०१) ३ मेघकुमार को जोव मिथ्याती थको हाथी के भव में सुसला रौ दया पाली परित संसार कौधो।
(साख सूत्र ज्ञाता अ०१) ४ गोशाला नो श्रावक सकडालपुन, भगवान ने विण प्रदक्षिणा देई वंदना कीधी।
(उपाशक दशांग अ०७) ५ मिथ्याती ने भली करणी लेखै सुब्रतो कयो छ।
(साख सूत्र उत्तराध्ययन अ०७ गा० २०)

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