Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 51
________________ ( ५१ ) ३० साधु अनुकम्पा आणी बस जीव ने बांधै बंधावै तथा बांधते प्रते भलो जाणै तथा बंधिया जीवां ने अनुकम्पा आणी छोड़े, छुड़ावै छोड़ते ने भलो जाणे तो प्रायश्चित कह्यो। (निशीथ उ० १२ बोल १-२) ३१ साधु कुतूहल निमित्त त्रस जौव ने बांधै बंधावै ___ अने छोड़े छुड़ावै तो प्रायश्चित कह्यो। (निशीथ उ० १७ बोल १-२) ३२ जे साधु पच्चखाण भांगै अने भांगता ने अनुमोदे तो दगड कह्यो। (निशीथ उ०१२ बाल ३-४ ३३ रहस्य साधु नौ अनुकम्पा आणी तैलादि मर्दन ___ करै तिहां कोलुण वडियाए' पाठ कह्यो । (आचाराँग श्रु० २ अ० २ ३०१) ३४ हरिणगवेषी सुलसां नो अनुकम्पा कौधौ। (अन्तगढ़ वर्ग ३ अ०८) ३५ कृष्णजी डोकरानी अनुकम्पा करी ईट उपाड़ी। (अन्तगढ़ वर्ग ३ अ०८) ३६ हरिकेशी नी अनुकम्पा आणी यक्षे विप्रां ने अंधा पाया। (उत्तराध्ययन अ० १२ गा० ८ से २५ ताई )

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