Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 81
________________ जागा न हुवै अने गृहस्थ बारला किमाड़ जड़ता हुवै तिवार रात्रि ने विषं आवाधा पौड़ता किमाड़ खोलना पड़े ते खुला देखि माहे तस्कर अावे बतायां न बतायां, अवगुण उपजता कह्या सर्व दोष में प्रथम दोष किमाड़ खोलने को कयो ‘ति कारण साधु ने किमाड़ खोलनो पड़े एहवे · स्थानके रहिवो नहीं। . . (आचाराङ्ग श्रु०२ ० २ उ०२) ६ साध्वी ने उघाड़े बारने रहिवो नहीं किमाड़न .., हुवै तो पोता नौ पछेवड़ी बांधी ने रहिवो, पिण ' उघाड़े बारने रहिवो नहौं कल्पै शौलादि निमते . . किमाड़ जड़वो अने साधु ने उघाड़े बारने रहिवो कल्पै ।... .. . (बृहत्कल्प उ० १ ) . . ( इति सम्पूर्णम्)

Loading...

Page Navigation
1 ... 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89