Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 88
________________ ( ८८ ) उनमार्ग छोड़ सनमार्ग लियो, तिगस्यूँ होसी आसमा सुध रे ॥ ४१ ॥ आठ छोड़े ते जिन उपदेश सूँ, पाप कर्म तो वन्ध, जाग रे । जिण याज्ञा स्यूं आठ यादयां, तिण पामै पद निर्वाण रे ।। ४२ ।। ठाम २ सूत्र में देखल्यो, जिगा धर्मं जिग चाज्ञा में जाग रे । ते सूट मिथ्याती जागे नहीं, युहीं बुडे है कर कर ताण दे || ४३ ॥ हूं कहि कहिने कित रो कहूँ, आगन्या वारे नहीं धर्म सूल रे । आगन्या वारे धर्म कहै तेहना, सरधा कण विना जोगो धल रे ॥ ४४ ॥ 1: ॥ सम्पूर्णम् ॥ J. 4 "

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