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उनमार्ग छोड़ सनमार्ग लियो, तिगस्यूँ होसी आसमा
सुध रे ॥ ४१ ॥ आठ छोड़े ते जिन उपदेश सूँ, पाप कर्म तो वन्ध, जाग रे । जिण याज्ञा स्यूं आठ यादयां, तिण पामै पद निर्वाण रे ।। ४२ ।। ठाम २ सूत्र में देखल्यो, जिगा धर्मं जिग चाज्ञा में जाग रे । ते सूट मिथ्याती जागे नहीं, युहीं बुडे है कर कर ताण दे || ४३ ॥ हूं कहि कहिने कित रो कहूँ, आगन्या वारे नहीं धर्म सूल रे । आगन्या वारे धर्म कहै तेहना, सरधा कण विना जोगो धल रे ॥ ४४ ॥
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॥ सम्पूर्णम् ॥
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