Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 62
________________ D १० तीर्थकर नौ माताने इन्द्र प्रदक्षिणा देई नमस्कार करै। (जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति) ११ अरिहन्तादिक पांच पदांनेज नमस्कार करवी । कयो। (चन्द्र प्रज्ञप्ति गा०२) १२ सर्वानुभूति अगागार गोशाले ने श्रमण माहण नो हिज विनय करवा कह्यो। ( भगवती श०१५) १३ अठारह पाप सूनिवर्ते तेहने माहगा कह्यो। (स्थगडोंग श्रु० ६ अ० १६) १४ माहगा नाम साधुरोहिज कल्यो । (सूयगडांग श्रु० २१०१) १५ वंस स्थावर त्रिविधे २ न हगौ तेहने साहा कह्यो तथा और भी अनेक लक्षणा माहगाना बताया। (उत्तराध्ययन अ० २५ गा० १६ से २६ ताई ) १६ समग माहण मर्व अतिथि नो नाम कन्यो। (अनुयोग द्वार.) १७ श्रावक ने एतला नामे कगै बोलागो कह्यो--- हे श्रावक ! हे उपाशक ! हे धार्मिक ! है धर्मप्रिय ! एहवा नामा करी वोलावगो कन्यो। (अधाराङ्ग ०२ ० ४ ३० ।

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