Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 71
________________ ७१ } १० आठ कर्म निपजावा नौ करणी जुदौ २ कही । ( भगवती श० ८ उ० ६ ) ११ धर्म रुचि ङ्कणगार ने तुम्बो परठवा नी आज्ञा दौधो । t १२ भगवान साधां ने गोशाले सूं आज्ञा दौधी तथा सर्वानुभूति ने ( भगवती श० १५ ) १३ गुरु नौ आज्ञा आराधै ति ने विनोत कह्यो । ( उत्तराध्ययन अ० १ गा० २ ) नियन्थाहाराऽधिकार । १| साधु प्राशुक हार भोगवै तो ७ कर्म ढौला पाड़े । ( ज्ञाता अ० १६ ) चर्चा करने की विनीत को । ( भगवतो श० १ उ० ६ ) २ ज्ञान दर्शन चारित्र बहवा ने अर्धे साधु आहार " करे । " ३ साधु मोक्ष ने अर्धे आहार करे । ( ज्ञाता अ० २ ) ( ज्ञाता अ० १८ ) 1

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