Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 53
________________ ( ५३ ) लब्धि अधिकार १ वैक्रिय तथा तेजस लब्धि फोड्यां जघन्य ३ उत्कृष्टौ ५ क्रिया कहौ। "(पनवणा पद ३६) २ आहारिक लब्धि फोद्यां जघन्य ३ उत्कृष्टौ ५ क्रिया कही। (पन्नवणा पद ३६) ३ श्राहारिक लब्धि फोड़े तिणने प्रमाद आश्री अधिकरण कयो। ( भगवती श०१६ उ०१) ४ अंघाचारण अथवा विद्याचारण लब्धि फोड़ी बिना आलोयां मरै, तो विराधक कह्यो । (भगवती श० २० उ०६) ५ वैक्रिय लब्धि फोड़े तिणने मायौ कह्यो भने आलोयां विना मरै, तो विराधक कह्यो। (भगवती श० ३ उ०४) ६ सात प्रकारे छमस्थ तथा सात प्रकार केवली जागोजे। (ठाणांग ठाणे ७) ७ अम्बड सन्यासी वेक्रिय लब्धि फोड़ी, सौ घरां

Loading...

Page Navigation
1 ... 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89