Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 57
________________ ( ५७ ) गुगुणाकर्णनाऽधिकारः । १ गणधरां भगवान ना गुण किया। (आचाराँग श्रु० १ अ०६ उ०४ गाथा ८) २ भगवान, साधा नां अनेक गुण किया। (उववाई प्रश्न २१) ३ कोणक ने माता पिता नो विनीत कट्यो । (उववाई) ४ श्रावका ने धर्म ना करगाहार कह्या । (उववाई प्रश्न २०) ५ गौतमा ना गुण कह्या । (भगवती श०१ उ०१) - । হুজ্জাতক্ষিন্দাহঃ + १ छद्मस्थ तीर्थङ्कर में कषाय कुशौल नियण्ठो कहो। (भगवती श० २५ उ०६ २ कषाय कुशौल नियण्ठा में छः लेश्या कही। (भगवती श०२५ १०६) ३ सामायक चारित्र छेदोस्थापनीय चारित्र में छः लेण्या पावै। (भगवती श० २५ उ०७)

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