Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 49
________________ ( ४६ ) १७ संयम जीवितव्य बधारवो कह्यो। (उत्तराध्ययन अ०४ उ०७) १८, संयम जीवितव्य दुर्लभ कह्यो। डॉग श्रु० १ ० २ उ०२ गा०१) १६ मिथिला नगरौ बलती देखी, नमौराजर्षि साहमो न जोयो। बलि कह्यो म्हारै राग द्वेष करवा माटै बाहलो दुबाहलो एक मिण नहौं । ए मिथिलापुरी बलतां थकां मांहगे किञ्चित मात्र पिण बलै नथी। मैं तो ( संयम में सुख से जीवं अने सुख से बसं छं। (उत्तराध्ययन अ० ६ गा० १२-१३-१४-१५) २० देवता, मनुष्य, तियंञ्च ए तीनां नं माहों मांही विग्रह देखौ अमुक नौ जय होवो अने अमुक नौ अजय होवो एहवो बचन साधु ने बोलणो नहौं । (दशवैकालिक अ० ७ गा० ५०) २१ वायरो, वर्षा, सौत, तावड़ो, राज विरोध रहित, सुभिक्ष पणो, उपद्रव रहित पणो, ए सात बोल हुवो इम साधु ने कहिवो नहौं । (दशकालिक अ०७ गा० ५१) २२ समुद्रपाली चोर ने मरतो देखी वैराग्य मामी चारित्र लोधो पिण चोरनी अनुकम्पा करि छोडायो नधी। ( उत्तराध्ययन अ० २१ गा०६)

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