Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 50
________________ ( ५० ) २३ जे साधु पोतानी अनुकम्पा करै पिण अनेरा नौ अनुकम्पा न करें। (ठाणांग ठाणे ४ उ०४) २४ अन्यतीर्थी तथा गृहस्थ सार्ग भूलाने साधु मार्ग ____बतावै तो चौमासी प्रायश्चित पावै । (निशीथ उ० १३ बोल २५) २५ हिंसादिक अकार्य करता देखौ, धर्मउपदेश देई समझावणो तथा अणबोल्यो रहे तथा उठी एकान्त जागवो कह्यो। (ठाणांग ठा० ३ उ०३) २६ साधु अनेरा जीवां ने भय उपजावै, तो प्रायश्चित कह्यो। (निशीथ उ० ११ बोल ६४) २७ रगृहस्थ नी रक्षा निमित्त मन्त्रादिक कियां बलिअनुमोद्यां चौमासौ प्रायश्चित कह्यो । (निशीथ उ० १३ बोल १४) २८ चुलगी पिया, पोपा में माता ने वचायिवा उठ्यो तो व्रत नियम भांग्या कह्या। (उपाशक दशा अ०३) २६ नावा में पाणी आवतो देखी साधु ने गृहस्थ प्रते बतायगो नहीं। (अनागा श्रु० २० १३० १)

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