Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 44
________________ ( ४४ ) २४ भात पाणी थौ पोष्यां धर्माधर्म नो न्याय । (उपाशकदशा अ०१) २५ तंगिया नगरी ना श्रावकां नो उघाड़ा वारणा रो न्याय। (भगवती श० २ ० ५ टीका में) २६ श्रावक ना त्याग ते ब्रत अने अागार ते अव्रत । (उववाई प्रश्न २० तथा सूयगडांग श्रु० २ अ० २) २७ दश प्रकार ना शस्त्र कह्या तिगसें अब्रतने भाव शस्त्र कह्यो। (टाणाङ्ग ठाणे १०) २८ जे श्रावक देशथको निवौं भने देशयको पञ्चखाण . कौधा तिणे करी देवता थाय। पिण अव्रत थी देवता न हुवै। (भगवती श०१ उ०८) २६ साधु ने सामायक में वहिरायां सामायक न भांगे तहनो न्वाय। (भगवती श० ८ उ०५) ३० श्रावक जिमावे तिगा ऊपर महावीर पार्श्वनाथ ना साधु नो न्याय मिले नहीं। (उत्तराध्ययन अ० २३ गा० १७) ३१ प्रमोच्चा केवली, अन्यलिंगी थकां पोते तो दीच्या

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