Book Title: Jain Bhajan Mala
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 40
________________ (४०) अशनादिक देवै तिहां पिण 'पंडिलाभित्ता" पाठ कह्यो। (भगवती श० ५ उ०६) ६ पोट्टिला आर्या महासती ने अशनादिक दौधा तिहां “पडिलाभे" पाठ कह्यो। ते माटे “पडिलाभे" नाम देवा नों छै पिण साधु असाधु जाणवा रो नहौं। (शाता अध्ययन १४) ७ साध ने अशनादिक वहिगवै तिहां “दलएजा" पाठ कह्यो छै। ते माटे "दलएन्जा" कहो भावे "पडिलाभेज्जा" कहो दोनों एक अर्थ छै। (आवारांग श्रु० २ ० १ उ००) ८ सुदर्शन सेठ शुकदेव सन्यासी ने अशनादिक श्राम्यो तिहां “पडिलाभमाणे” पाठ कह्यो। (माता अ०५) ८ 'पडिलाभ' नाम देवा नोहिज छ। (स्वगडांग शु० २ ० ५ गा०३३) १० आई मुनि ने विप्रां कह्यो-जो वे हजार कहता दो हजार ब्राह्मण जिमावै ते महा पुन्य स्कन्ध उपार्जी देवता हुई। एहवो हमारे वेद में कयो है। तिवारै आई मुनि वोल्या, हे विनों ! ने

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