________________
(५) 'जाजा देवड़ा उस
समय अखाड़े में था ।
* और बीकन वहां घोड़ा ले कर आया था ।"
Jain Educationa International
( ११ )
उससे पूर्व उनका संमान इतना था कि घर बैठे उन्हें वृत्ति मिलती थी, वे बादशाह को सलाम करते और उलुगखां की फौज में नौकरी बजाते । उलुगखां के दुर्वचनों से दुःखी होकर उन्होंने कालु मलिक को मार दिया, कटक में कोलाहल किया और जग देखते वहाँ आए थे :
इणि वचनि दुइविया स्वामि,
काल मलिक मायउ तिणि ठामि ।
कटक मांहि कुलाइल किया, जग देखत इहाँ आविया ॥ ४६ ॥
(५) जिस चउपर का अर्थ डा० गुप्त ने किया है वह यह है :
हेडाउ जाउ देवड, घोड़ा ले आयु बीकणउ ॥ ६८ ।
अखाड़े के लिए यहां कोई शब्द नहीं है । शायद डा० गुप्त ने 'हेडाउ' का अर्थ अखाड़ा कर दिया है । 'हेडाउ' राजस्थानी का विख्यात शब्द है । "हेडाउ - मीरी" का ख्याल अब भी होली के समय होता है। हेडाउ हेम बणजारे की कथा भी प्रसिद्ध है । श्री मनोहर शर्मा ने इस दोहे की ओर भी
मेरा ध्यान आकृष्ट किया है :
लाख सरिसा लख गया, अनड़ सरीसा आठ ।
म
डाउ सारसा, बले न आया वाट ||
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org