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का नया नगर बन गया। सर्व प्रथम बाहिर देव के मन्दिर का विनाश कर दिया गया। इसके उपरान्त कुम के घरों का विनाश कर दिया गया। बहुत से मजबूत मन्दिर जिन्हें कयामत का बिगुल भी न हिला सकता था, इस्लाम के पवन के चलने से भूमि पर सो गए।"१
जलाउद्दीन से संघर्ष १३०१ में हुआ। उससे लगभग १० वर्ष पूर्व जलालुद्दीन से हम्मीर का संघर्ष हुआ था। इसका अच्छा विवरण खुसरो ने सन् १२९१ में ही रचित मिफ ताहुल फुतूह नाम के ग्रंथ में दिया है। हम्मीर की पूरी जीवनी के लिए यह अंश भी उपयोगी है इसलिए हम उसे मी यहाँ उद्धृत कर रहे हैं। _ "( व्यवहाँ से ) दो सप्ताह यात्रा करके सुल्तान रणथंबोर की पहाड़ियों के निकट पहुँच गया। तुर्की ने देहातों का विनाश प्रारम्भ कर दिया। अग्रिम दल के सवार भेजे जाने लगे और हिन्दुओं की हत्या होने लगी। सुल्तान स्वयं झायन से चार फरसंग की दूरी पर रहा। कुछ सवार शत्रुओं के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिये भेजे गये। (२६) ने पहाड़ियों में शिकारियों की भांति शत्रुओं की खोज करने लगे। इसी बीच में उन्हें पांच सौ हिन्दू सवार दृष्टिगोचर हुए, दोनों सेनाओं में युद्ध हो गया। हिन्दू "मार-मार" का नारा लगाते थे। एक ही धावे में ७० हिन्दुओं की हत्या कर दी गई। वे लोग पराजित होकर भाग यये । शाही सेना विजय प्राप्त करके अपने शिविर की ओर वापस हो गई और सुल्तान तक समस्त समाचार पहुँचा दिया गया। उस प्रारम्भिक विजय से सुल्तान का बल और बढ़ गया। दूसरे दिन एक हजार वीर सैनिक भेजे गए.. सेना से झायन १ खलजी कालीन भारत पृ० १५९-६०
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